उत्तर प्रदेश में चुनाव भी खत्म हो चुका है और योगी सरकार ने अपनी दूसरी पारी भी शुरू कर दी है। लेकिन विधानसभा में जो अखिलेश यादव कर रहे है वो वाकई राजनीति के नजरिए से बहुत गंदा है। अखिलेश यादव जब योगी के सामने नही ठहर पाय तो उन्होंने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को घेरना शुरू कर दिया है लेकिन कल यानी बुधवार को तो अखिलेश अपने पूरे निचले स्तर पर आ गए। अखिलेश का विधानसभा में ये बोला जाना कि “तुम अपने पिताजी से पैसा लाए क्या ?” ये बताता है की उनकी बौखलाहट कितनी ज्यादा है। अखिलेश के इस टिप्पणी की चर्चा जोरों पर है,और अखिलेश को सोशल मीडिया पर घेरा भी जा रहा है। आपको बता दे कि बुधवार यूपी विधानसभा के बजट सत्र का ये विवाद चर्चा में है, सत्र के दौरान वर्तमान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच तीखी बहस देखने को मिली। हुआ ये कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने वर्तमान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से सवाल किया, आपके जिले के मुख्यालय की सड़क किसने बनवाई? एक्सप्रेसवे किसने बनवाई? मेट्रो किसने बनवाई ? जिसपर केशव प्रसाद ने कहा ‘ पिछली सपा सरकार के लोग सड़क, एक्सप्रेसवे, और मेट्रो पर ऐसी बात करते हैं जैसे इन्होने सैफाई की जमीन बेचकर ये सब करवाया हो।’ जिसपर अखिलेश एकदम से बौखला गए और पलटवार करते हुए कहा कि, ” तुम क्या अपने पिताजी से पैसे लाते हो ये सब करवाने के लिए? चुप,चुप….
यूपी विधानसभा में अखिलेश यादव और केशव मौर्य में बहसpic.twitter.com/je7XTh5drY
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) May 25, 2022
अखिलेश और केशव प्रसाद मौर्य का मामला देख खुद योगी को उठना पड़ा और योगी ने सदन में विपक्ष के साथ साथ सत्तापक्ष को भी सदन कि मर्यादा बनाए रखने का आग्रह किया।
तू-तू, मैं-मैं का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए: मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी महाराज pic.twitter.com/XixdP6y11E
— Yogi Adityanath Office (@myogioffice) May 26, 2022
जैसे अखिलेश यादव मर्यादा से बाहर आकर बयान दे रहे है, विधानसभा में स्पीकर के सामने केशव प्रसाद मौर्य जैसे बड़े नेता का अपमान कर रहे है,अगर ऐसे ही चलता रहा तो केशव प्रसाद मौर्य की बाते सच होंगी की सपा अगले 25 साल तक तो सरकार में नही आ रही है क्योंकि भीख में कभी सत्ता मिली हो तो वो अंहकार और अमरत्व का भान दे देती है और जो व्यक्ति खुद को दु:र्योधन और दु:शासन दोनों समझने लगता है, उन्हें तब भगवान श्रीकृष्ण भी याचक लगते है तो ऐसे अहंकारी के लिए सदन में 24 करोड़ लोगों का प्रतिनिधि मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री चीज ही क्या हैं ? अखिलेश बार बार ये बात भूल जाते है की अगर वो आज सरकार में नही आ पाय है तो कही न कही उनकी भाषा और उनके नेताओं की भाषा भी रही है। चुनाव जब सपा की तरफ लगने लगा था तभी समाजवादी कार्यकर्ता धमकाने शुरू कर दिए थे,और जनता ने कही न कही बदलाव का मूड बनाकर फिर से वही सरकार बनवाई। क्योंकि सबको पता है की यूपी में कभी सरकार रिपीट नही कर पाई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा सदन के प्रथम सत्र में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश का व्यवहार, घमंड और सदन में सभी से बात करने का लहजा यही दर्शा रहा कि व्यक्ति अपने घमंड में इतना चूर है की उसे कुछ समझा नहीं आ रहा की वो कर क्या रहा या 2022 की हार की चोट से इतना घायल है जितना कोई व्यक्ति किसी बड़े फायदे के बिजनेस में अचानक घाटा लगा बैठता है। दुनियाँ में जो अहंकारी लोग होते हैं उनको अपने दांतों को मजबूत रखने की अहम ज़िम्मेदारी मिली होती है। इसीलिए वो कभी भी किसी को भी काटने दौड़ते हैं ताकि वह अपने दांतो को पैना रख सके। खैर अहंकार की ज़मीन पर उगने वाले लोगो से कुछ और उम्मीद भी नहीं है। शायद यह भी भुट्टो के पद चिन्हों पर है, जिसे हज़ार साल तक अपने जीने की आशा थी।
खैर वक्त से बड़ा बाज़ीगर कोई नहीं। वक्त का इंतजार है कि लेखा जोखा कब पूरा होगा और किसी व्यक्ति के अहंकार को संभाल कर इतिहास की बक्से में रख दिया जाएगा, एक और कहानी को जन्म देने के लिए।
खैर सदन में मुख्यमंत्री के समक्ष एक दंभी सत्ता के लिए बेकल व अनपढ़ जाहिलो की तरह व्यवहाररत एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान नेता विपक्ष द्वारा एक उपमुख्यमंत्री के साथ जिस तरह के आचरण का प्रदर्शन किया गया उस पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी जी का धैर्यपूर्ण आचरण व नसीहत अभूतपुर्व रहा।
मुख्यमंत्री जी ने विपक्ष की उन धारणाओं को ध्वस्त किया कि उनके व केशव मौर्य जी के मध्य को कोई अनबन है। उन्होंने आज के वक्तव्य से अपनी सियासी परिपक्वता तो दर्शाया ही साथ ही साथ उन्होंने सर्द लहजे में प्रतिउत्तर के समय प्रतिपक्ष के उसकी औकात में रहने की चेतावनी भी दे डाली। योगी जी के आज के व्यवहार व वक्तव्य से व्यक्तिगत रूप से काफी लोगो को अत्यंत प्रसन्नता है कि पिछले पांच वर्षों में एक संत ने अपने को उस सियासी रंग ढंग में ढाल लिया, जिसकी आज की राजनीति में बहुत ही आवश्यकता है। जब प्रदेश का विपक्ष का सबसे बड़ा नेता ही ऐसी भद्दी बाते करता हो वो भी विधानसभा में तो आप समझ सकते है की खुद विपक्ष ही बीजेपी को मौका दे रहा है उन्हे लपेटने की। इसके पहले भी नेता प्रतिपक्ष थे समाजवादी पार्टी के राम गोविंद चौधरी जिन्होंने हमेशा मर्यादा में रह कर सत्ता के लोगो से सवाल किया। राम गोविंद चौधरी ने कभी भी मर्यादा से बाहर निकल कर बात नही किया,उन्होंने भी कोरोना के समय सरकार को आड़े हाथों लिया था लेकिन कभी अखिलेश यादव जैसा बद्तमीजी पर नही उतरे, अखिलेश यादव को रामगोविन्द चौधरी से कुछ सीखना चाहिए। अगर अखिलेश का ऐसा ही चलता रहा तो जो हाल यूपी में कांग्रेस और भासपा का हुआ है वही सपा का होते देर नहीं लगेगा।