2022 विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके है और भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश में सरकार बना ली है। एक बार फिर उत्तर प्रदेश की कमान सीएम योगी आदित्यनाथ के कंधे पर है। और ऐसे में समाजवादी पार्टी के खेमे से खीच तान होती नजर आ रही है। समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां बगावती होते नजर आ रहे है। और ऐसे में अटकलें लगाई जा रही है कि, शायद वो सपा का साथ छोड़ने वाले है। आपको बता दें कि, रामपुर में आजम खां के ऑफिस में एक बैठक हुई जहा पर आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत खान उर्फ शानू ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमला बोला है। फसाहत खान ने आरोप लगाते हुए कहा कि, मुस्लिम मतदाताओं ने समाजवादी पार्टी को एकतरफा वोट किया है। और यही कारण है की आज समाजवादी सवा सौ के सीटों के आंकड़े को छू पाई है। और आज सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मुस्लिमों का ही साथ नही दे रहे है। यही नहीं आजम खान के समर्थकों ने कई अन्य गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि, आजम खान लगभग दो साल से सीतापुर जेल में बंद है और अखिलेश यादव मात्र एक बार ही उनसे मिलने जेल पहुंचे है। इस पार्टी के मुस्लिमों को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है, यही नहीं अखिलेश यादव ने उन्हे विधानसभा नेता प्रतिपक्ष तक नही बनाया। गुस्से में आजम के मीडिया प्रभारी ने कहा की उन्हें तो हमारे कपड़े से बदबू तक आती है। अगर शानू ने ये सारी बाते और आरोप लगा रहा है तो ये कोई सामान्य बात नही है क्योंकि, को कुछ भी ऐसा नही बोलते जिसमे आजम खान की स्वीकृति ना हो। वो कोई भी बयान बिना आजम खान के सहमति के बिना नहीं देते है। आजम खान के करीबियों और सूत्रों की माने तो शायद ऐसे कयास लगाए जा रहे है की वो एक पार्टी का गठन कर सकते है। क्योंकि ज्यादातर मुकदमों में उन्हें जमानत मिल चुकी है।
पहले भी सपा से दूर हो चुके है आजम खान।
एक समय था जब मुस्लिमों के लिए मसीहा कहे जाते थे आजम खान, लेकिन आज परिस्थिति कुछ और है। आपको बता दे एक बार आजम खान समाजवादी पार्टी से दूर हो चुके है। वर्ष 2009 के चुनाव में अमर सिंह के कहने पर मुलायम ने रामपुर से जया प्रदा को लोकसभा चुनाव लड़ा दिया था। इस पर गुस्साए आजम अलग हो गए थे। यहां तक कि फिरोजाबाद के चुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ प्रचार को पहुंच गए थे। वह चुनाव हार गई थीं। इसके बाद मुलायम उन्हें मनाने के लिए रामपुर आए थे।
नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे आजम
उनके समर्थकों की माने तो आजम खान नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। और शायद यही वजह थी कि, आजम खान और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच तना तनी नजर आ रही है। और उनके समर्थक ये भी चाहते थे वो अपनी संसदीय सीट को छोड़कर रामपुर से विधायक बने। लेकिन ये भी ना हो सका। आजम खान के मीडिया प्रभारी ने कहां की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके पिता का पार्टी के बनने और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने तक में हर कदम पर साथ दिया है। लेकिन अब जब मदद की बात आई तो अखिलेश यादव ने साथ नही दिया।
हमारे कपड़ों से अखिलेश यादव को आती है बदबू।
आजम खान के मीडिया प्रभारी बैठक के दौरान कई चीजों का खुलासा किया। उन्होंने कहा की अखिलेश यादव को हमारे कपड़ों से बदबू आती है। अखिलेश चाहते है की सारा मुस्लिम समाज उन्हें वोट करे लेकिन वो अपने पोस्टर और होर्डिंग्स में हमारा नाम तक नहीं डालते। एक टोंट भरे तरीके से उन्होंने ने कहा कि, अखिलेश यादव की पार्टी को वोट भी अब्दुल दे, चुनाव में लड़े भी अब्दुल, NRC CAA विरोध में भी अब्दुल जाए और जेल भी अब्दुल जाए, लेकिन जब अब्दुल की मदद की बात आए तो सपा मुखिया मुंह मोड़ लेते हैं! आपको बता दे की जब अखिलेश यादव ने कोरोना वैक्सीन को मोदी की वैक्सीन कहा था और लोगो से अपील की थी की उसे ना ले और अखिलेश के सिर्फ एक आह्वाहन पर आजम कहां ने वैक्सीन नही ली थी। और वो मरते मरते बचे, और उनको देखने के लिए अखिलेश यादव जेल तक नही गए।
आजम खान के बेटे भी कर चुके नाराजगी जाहिर।
सपा विधायक और आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम भी एक ट्विटर अकाउंट पर शायरी भरे अंदाज पर नाराजगी जाहिर कर चुकी है। अब पिता और बेटा दोनो समाजवादी खेमे से नाराज़ दिखाई दे रहे और आजम खान के समर्थक भी समाजवादी पार्टी से नाराज़ है ऐसे में अटकलें यही है की आजम जेल से छूटने के बाद बड़ा फैसला ले सकते है वो सपा का दामन छोड़ के खुद की पार्टी भी बना सकते है।
इमरान प्रतापगढ़ी भी कह चुके है बड़ी बात।
इससे पहले इमरान प्रतापगढ़ी भी ये बात उठा चुके है कि, लगभग दो साल आजम खान जेल में बंद है और इस दौरान अखिलेश यादव सिर्फ एक बार ही उनके घर आए है। आरोप ये भी है आजम समर्थकों का अखिलेश ने ख्याल नहीं रखा। की विधानसभा चुनाव में टिकट बटवारे में भी गड़बड़ी हुई। बदायूं से आबिद रजा जैसे नेता जिनकी जीत तय मानी जा रही थी, उनका पत्ता साफ कर मुंबई में काम कर रहे बिल्डर को टिकट थमा दिया।