नीतीश कुमार की जेडीयू पार्टी जिस प्रकार से बिहार में एनडीए के सहयोगी दल के रूप में जानी जाती है ठीक उसी प्रकार का नजारा अब उत्तर प्रदेश की राजनीती में आपको आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकती है। नीतीश कुमार की जेडीयू पार्टी के साथ भाजपा यूपी में भी चुनावी गठबंधन कर सकती है। UP में बीजेपी-जेडीयू अगर एक साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो जाहिर है, नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ के लिए वोट भी मांग सकते हैं।
यूपी में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे है वैसे ही उत्तर प्रदेश की राजनीती नया मोड़ लेती नजर आ रही है। यूपी में छह महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, भाजपा उत्तर प्रदेश की सत्ता में अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए लगभग हर तरह की कोशिश में जुट गई है, विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने सियासी समीकरण को मजबूत बनाने के लिए तमाम राजनीतिक दलों के साथ गठजोड़ बनाने के लिए जुटी हुई है, ऐसे में उनके सहयोगी दलों में से एक, उत्तर प्रदेश के पडोसी राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उत्तर प्रदेश में योगी के लिए जनता से वोट मांग सकते है। बिहार में एनडीए के सहयोगी नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ बीजेपी यूपी में भी चुनावी गठबंधन कर सकती है, जिसकी पठकथा भी लिखी जा चुकी है। उत्तर प्रदेश में अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपनी पार्टी जेडीयू का विस्तार करने जा रहे हैं, प्रदेश में अगले साल शुरू होने वाले विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने भी उत्तर प्रदेश के सियासी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है, और अब जल्द ही जेडीयू की यूपी में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के फॉर्मूले पर मुहर भी लग सकती है।
यूपी में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन पर बीजेपी से बात फाइनल
सूत्रों की मानी जाए तो उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर यूपी में जेडीयू और बीजेपी गठबंधन को लेकर दोनों दलों में दो बार बातचीत हो चुकी है, पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व की इस संबंध में बात हो चुकी है, इन सभी बातचीत को देखकर लगभग यह तय माना जा रहा है की उत्तर प्रदेश चुनाव में इस बार जेडीयू- भाजपा का गठबंधन तय है, जिस पर जल्द ही सार्वजनिक मुहर भी लग सकती है।
बता दें कि पिछले दिनों “आजतक चैनल” से बातचीत में जेडीयू के महासचिव ‘केसी त्यागी’ ने कहा था कि “हम एनडीए गठबंधन के साथ हैं, ऐसे में जेडीयू की पहली प्राथमिकता भाजपा के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश की चुनावी मैदान में उतरने की रहेगी, लेकिन अगर सीटों को लेकर दोनों दलों में बात बनी तो हम किसी के भी साथ जा सकते हैं जिससे यह साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है की जेडीयू उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए काम कर रही है , सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इस गठबंधन पर मुहर भी लग सकता है।
यूपी में जेडीयू कर सकती है विस्तार
उत्तर प्रदेश में जेडीयू को अपने पार्टी के राजनीतिक विस्तार की काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं और साथ ही सामाजिक समीकरण भी अपने अनुकूल ही नजर आता दिख रहा है। यूपी के पडोसी राज्य बिहार का राजनीतिक प्रभाव उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में देखने को मिलता है, बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के जिलों में कुर्मी समुदाय की एक बड़ी आबादी है , प्रदेश में कुर्मी समुदाय की आबादी लगभग यादव के बराबर है, जिस प्रकार से यादवों का वोट सपा अपने वोट बैंक की तरह मानती है उसी प्रकार कुर्मी समुदाय को भी वोट बैंक के रूप में देखा जाता है। हालांकि उत्तर प्रदेश के चुनाव में एक समुदाय को साथ लेकर एक विशेष तरह के वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करना कोई नई बात नहीं है, इसी हिसाब-किताब से जेडीयू का यह दावा है की बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के लगभग 15 जिलों में जेडीयू का सीधा प्रभाव है।
बता दें की जेडीयू की नजर जिस कुर्मी समुदाय पर है उसे मौजूदा समय में भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है ऐसे में जेडीयू का यह दावा कहा तक सही है वो आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकते है।
भाजपा का कुर्मी समुदाय से गहरा नाता
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने, पार्टी की कमान कुर्मी समुदाय से आने वाले स्वतंत्र देव को दे कर रखा है तो सहयोगी तौर पर कुर्मी समाज से ही आने वाली अनुप्रिया पटेल की अपना अपना दल (एस) के साथ गठबंधन कर रखा है तो ऐसे में जेडीयू के नीतीश कुमार के साथ भी हाथ मिलाकर भाजपा कुर्मी वोटबैंक को पूरी तरह से मजबूत करने की पूरे प्रयास में लगी हुई है। अगर यह गठबंधन तय हो जाता है तो आगामी यूपी 2022 के विधानसभा चुनाव में नितीश कुमार योगी आदित्यनाथ के लिए प्रदेश में वोट मांग सकते है, इससे पहले भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार बीजेपी-जेडीयू प्रत्याशी के लिए वोट मांगते नजर आए थे।
उत्तर प्रदेश में कुर्मी समुदाय की राजनीती
उत्तर प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा के सीटों पर कुर्मी समुदाय अहम् भूमिका निभाती है, यूपी में कुर्मी जाति की संत कबीर नगर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज , सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, बलरामपुर, सिद्धार्थ नगर, बस्ती और बाराबंकी, कानपुर, अकबरपुर, एटा, बरेली और लखीमपुर जिलों में ज्यादा आबादी है। यहाँ की विधानसभा सीटों पर कुर्मी समुदाय या तो खुद जीतने के स्थिति में है या फिर किसी दल को जिताने की स्थिति में है, इसलिए लगभग हर राजनीतिक दल की नजर इन जिलों पर खास कर होती ही है।