मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के अयोध्या से चुनाव लड़ेगे। उन्होंने पहले ही कह दिया था की पार्टी जो चाहेगी, जहां से कहेगी मैं वहा से चुनाव लड़ूंगा। लेकिन ये अटकले लगाई जा रही थी कि, अयोध्या, गोरखपुर, या मथुरा से चुनाव लड़ सकते है। लेकिन वही कुछ लोगो का कहना ये भी था योगी आदित्यनाथ अयोध्या से ही चुनाव लड़ेगे। खैर अब ये साफ हो गया है की योगी आदित्यनाथ अयोध्या से ही चुनाव लड़ेगे। चुनाव में उनके उतरने से न सिर्फ जातीय सीमाएं टूटेंगी बल्कि भाजपा देश के अन्य चुनावी राज्यों में भी अपने कोर वोटर को प्रखर हिंदुत्व का संदेश देने में सफल होगी। उनके यहां से चुनाव लड़ने के साथ ही 2022 इतिहास के रूप में सदैव दर्ज हो जायेगा।
पहली बार सिटिंग सीएम बने उम्मीदवार।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से विधानसभा चुनाव लडऩे के साथ ही वर्ष 2022 रामनगरी के इतिहास में सदैव के लिए अंकित हो जाएगा। यह पहला अवसर होगा, जब योगी आदित्यनाथ के रूप में कोई नेता मुख्यमंत्री रहते अयोध्या से विधानसभा का चुनाव लड़ेगा। उनसे पहले प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी ने यहां से वर्ष 1971 में इंडियन नेशनल कांग्रेस (संगठन) के प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। वह 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं थीं, लेकिन यहां लोकसभा चुनाव में तत्समय वे इंडियन नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार आरके सिन्हा से हार गईं थीं और तब उनका मुख्यमंत्री का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका था। उनके यहां से चुनाव लड़ने पर देश में एक ही हिंदुत्व के लिए संदेश जाएगा। इससे जातीय सीमाएं भी टूटेगी बल्कि अन्य राज्यो मे भी प्रखर हिंदू वोटरों में एकता और समानता का भी संदेश जाएगा।
सीएम रहते हुए 35 बार से ज्यादा अयोध्या आ चुके है योगी आदित्यनाथ।
एक मुख्यमंत्री के रूप में ये पहली बार हुआ होगा जब कोई सीएम अयोध्या में सबसे ज्यादा गया हो। 35 बार से ज्यादा योगी आदित्यनाथ अयोध्या जा चुके है। लोगो का कहना ये भी है कि आज जो अयोध्या की स्थिति है वो पहले कभी नही थी। बाबा ने अयोध्या को चमका दिया है। ना जाने कितनी सरकार आई और गई लेकिन बाबा ने ठाना थी की राम मंदिर बनेगी तो बनेगी और आज उन्ही की देन है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू है। जो आने वाले कुछ सालो में दिव्य और भव्य हमारे राम का मंदिर बन के तैयार हो जाएगा।
सीएम योगी की सरकार में अयोध्या ने कई बड़े खिताब भी अपने नाम किए। जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा में यहां पर दीप जलने का दौर रहा। इस दौरान सिर्फ अयोध्या नही पूरा देश राम की भक्ति में जगमगा रहा था। ऐसा कहा जाता है की योगी आदित्यनाथ अपने छात्र जीवन से ही मंदिर निर्माण के आंदोलन से जुड़े हुए थे।
26 की उम्र में बने थे सांसद।
योगी आदित्यनाथ के राजनैतिक जीवन में सबसे बड़ा योगदान उनके गुरु का रहा। योगी के गुरु अवैधनाथ ने 1998 में राजनीति से संयास ले लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई 1998 में गोरखपुर से 12 वीं लोकसभा का चुनाव जीत का योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह उस समय के सबसे कम उम्र के सांसद थे। 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे।
हिंदू वाहिनी का किया गठन।
योगी आदित्यनाथ ने अपने निजी सेना हिंदू युवा वाहिनी का निर्माण किया जो गौ सेवा और हिंदू विरोधी गतिविधियों के लिए कार्य करता था। हिंदू वाहिनी ने गोरखपुर में ऐसा माहौल तैयार किया। जिसके चलते आज तक उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता। एक तेजतर्रार राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छवि योगी आदित्यनाथ बना ली थी। योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी खासियत तो में एक है कि वह जनता से सीधे संवाद करने में विश्वास रखते हैं। 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो सीएम चेहरे के कई दावेदार थे। लेकिन बाजी योगी आदित्यनाथ के हाथ लगी योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने फैसलों से अपनी राजनीतिक इच्छा को जाहिर कर दिया। हालांकि प्रदेश में हुए इन काउंटरों के कारण विपक्ष ने उंगलियां भी उठाई लेकिन कानून व्यवस्था पर सख्त योगी पर इसका खास प्रभाव नहीं हुआ।
योगी ने कहां ये चुनाव 80 बनाम 20 का रह गया है।
योगी आदित्यनाथ ने मीडिया से बातचीत करने के दौरान बताया कि यह चुनाव 80 बनाम 20 फ़ीसदी का हो गया है रिजल्ट 10 मार्च को आने दीजिए सब साफ हो जाएगा। एक तरफ बीजेपी होगी तीन चौथाई सीटों के साथ सरकार बना रही होगी तो दूसरी तरफ कांग्रेस, सपा, बसपा जैसे दल होंगे जो 20% की लड़ाई के लिए माथापच्ची करेंगे।