उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ की जीत हुई है । जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले है ।जीत के एलान के बाद जेपी हुड्डा उनसे मिलने गए । बता दें कि कुल 725 सांसदों ने वोट डाला । 15 वोट रद्द कर दिए गए । कुल 710 वैध वोटों में 528 वोट जगदीप धनखड़ को मिले, वहीं विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को केवल 182 वोट मिले ।
एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ देश के अगले उपराष्ट्रपति बन गए है । उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी मार्गरेट अल्वा को चुनाव में हरा दिया है ।उनके उपराष्ट्रपति बनने से भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी ) को कई तरह के फायदे मिल सकते है । सियासी गलियारे में इसकी खूब चर्चा है । धनखड़ की इस जीत के कई मायने है ।
कौन है जगदीप धनखड़ ?
18 मई साल 1951 को राजस्थान के झुंझनू जिले में जन्मे जगदीप धनखड़ किठाना के किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं । उनके पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है ।
जाट समुदाय से आते है जगदीप धनखड़
जगदीप धनखड़ जाट समुदाय से आते है । वह चार भाई-बहनों में वह दूसरे नंबर पर है । बता दें कि राजस्थान में रहने वाले जाट समुदाय के लोग भाजपा सरकार के खिलाफ हो गए थे ।
अगले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और फिर 2024 में हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव होने है । इनमें से राजस्थान, हरियाणा में जाट समुदाय के वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है । इसके अलावा दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब में भी जाट वोटर्स की संख्या काफी अधिक है । इसलिए साल 2024 लोकसभा चुनाव में अगर ये जाट वोटर्स साथ आ गए तो भाजपा की जीत की राह आसान हो सकती है ।
जगदीप धनखड़ की शिक्षा
शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी माध्यमिक विद्यालय से हुई । गांव से पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद उनका दाखिला गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुआ । इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में भी पढ़ाई की । 12वीं के बाद उन्होंने भौतिकी में स्नातक किया। इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 12वीं के बाद धनखड़ का चयन आईआईटी और फिर एनडीए के लिए भी हुआ था, लेकिन नहीं गए ।
सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर चुके हैं जगदीप धनखड़
स्नातक के बाद उन्होंने देश की सबसे बड़ी सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर ली थी । हालांकि, आईएएस बनने की बजाय उन्होंने वकालत का पेशा चुना । उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत भी राजस्थान हाईकोर्ट से की थी । वह राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमैन भी रहे थे।
जगदीप धनखड़ का निजी जीवन
जगदीप धनखड़ की शादी साल 1979 में सुदेश धनखड़ के साथ हुई । दोनों के दो बच्चे हुए । बेटे का नाम दीपक और बेटी का नाम कामना रखा । लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं रही । साल 1994 में जब दीपक 14 साल का था, तब उसे ब्रेन हेमरेज हो गया । इलाज के लिए दिल्ली भी लाए, लेकिन बेटा बच नहीं पाया । बेटे की मौत ने जगदीप को पूरी तरह से तोड़ दिया । हालांकि, किसी तरह उन्होंने खुद को संभाला ।
जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके है
जगदीप धनखड़ ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल से की थी । जगदीप धनखड़ ने साल 1989 में झुंझनुं से सांसद बने थे । पहली बार सांसद चुने जाने पर ही उन्हें बड़ा इनाम मिला । साल 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था ।
हालांकि , जब साल 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में जनता दल ने जगदीप धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा और विधायक बने थे । साल 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए । साल 2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था ।
जगदीप धनखड़ का ममता बनर्जी से था छत्तीस का आंकड़ा
साल 2019 में बीजेपी ने उनको पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था । तब से लेकर अब तक उनकी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से ठनती रही । पिछले महीने उदयपुर के प्रताप गौरव केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल जगदीप धनखड़ शामिल हुए और उन्होंने कहा था कि ,” पश्चिम बंगाल में कानून का नहीं, शासक का राज है । ”
अग्रणी वकीलों में एक है जगदीप धनखड़
जगदीप धनखड़ राजस्थान के ही नहीं, वरन देश के अग्रणी वकीलों में शुमार रहे है । बार कौंसिल आफ राजस्थान के विभिन्न पदों पर रहने वाले धनखड़ ने साल 1989 में राजनीति में प्रवेश किया । पहली बार झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से भाजपा से सांसद निर्वाचित हुए । 1990 में वह देश के संसदीय कार्य राज्यमंत्री बने । इसके बाद अजमेर जिले की किशनगढ़ से वह विधायक निर्वाचित हुए ।
धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने से बीजेपी के फायदे
- जगदीप धनखड़ से बीजेपी की जीत की राह आसान
किसान आंदोलन के चलते पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, राजस्थान में रहने वाले जाट समुदाय के लोग भाजपा सरकार के खिलाफ हो गए थे । अगले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और फिर 2024 में हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव होने है । इनमें से राजस्थान, हरियाणा में जाट समुदाय के वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है ।
इसके अलावा दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब में भी जाट वोटर्स की संख्या काफी अधिक है । 2024 लोकसभा चुनाव में अगर ये जाट वोटर्स साथ आ गए तो भाजपा की जीत की राह आसान हो सकती है ।
- घनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने से किसानों की नाराज़गी होगी दूर
जगदीप धनखड़ किसान परिवार से आते है । ऐसे में उनके उपराष्ट्रपति बनने से किसानों में भी भाजपा के प्रति जो नाराजगी है वो दूर हो सकती है । इसके अलावा जगदीप धनखड़ ने अपने कॅरियर की शुरुआत की वकालत से की है । देशभर में 10 लाख से ज्यादा लोग वकालत के पेशे में है । ऐसे में भाजपा को वकीलों का भी साथ मिल सकता है ।
जगदीप धनखड़ को जब उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम भाजपा नेताओं ने उन्हें किसान पुत्र कहकर ही बुलाया था ।जानकारों का कहना है कि भाजपा ने जिस उद्देश्य के साथ धनखड़ को उम्मीदवार बनाया था, अब वो काफी हद तक सफल हो सकेगा । जगदीप धनखड़ काफी जुझारू हैं और जाट समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है ।