आज दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन वेरिएंट लोगों के बड़ी मुसीबतों का कारण बना हुआ है। इस वेरिएंट के फैलने की दर बहुत अधिक है, यही कारण है कि दुनियाभर के वैज्ञानिक इसके संक्रमण को रोकने वाले उपायों की खोज करने में है। कोरोना वायरस के मूलरूप से अलग इस वेरिएंट में 35 से अधिक म्यूटेश के बारे में पता लगाया गया है।
कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट आज दुनिया भर में बड़ी मुसीबतों का कारण बना हुआ है। इस वेरिएंट की संक्रामकता की दर बहुत अधिक है, इसी लिए दुनियाभर में वैज्ञानिक इसके संक्रमण को रोकने वाले उपायों की खोज करने में लगे है। कोरोना वायरस के इस वेरिएंट में 35 से अधिक म्यूटेशनों के बारे में पता चला है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इस ख़तरे से बचने के लिए सभी लोगों को लगातार बचाव के तरीके करते रहने चाहिए।कोरोना के इस वेरिएंट से संक्रमण की स्थिति में रोगियों में कुछ विशेष लक्षणों के बारे में दिन व दिन भी पता चला है। डेल्टा वेरिएंट में लोगों को स्वाद और गंध जाने की समस्या अधिक हो रही थी, लेकिन इस ओमिक्रॉन के संक्रमण में इस तरह के कोई भी लक्षण कम ही देखे जा रहे है। इस बार ओमिक्रॉन के संक्रमण में लोगों को गले में खराश और रात में पसीना आने की समस्या अधिक हो रही है। इसके अलावा कुछ रिपोर्ट में यह भी बताया जा रहा है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित कुछ लोगों को पेट से संबंधित परेशानियां भी हो रही है, इस तरह के मामले डेल्टा संक्रमण के दौरान नहीं देखे गए थे। तो आईए जानते है ओमिक्रॉन संक्रमण के दौरान पेट से संबंधित लक्षणों के बारे में विस्तार से जानते है-
कोविड के लक्षणों के बारे में अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की एक टीम ने कुछ अन्य संकेतों को लेकर भी लोगों को सतर्कता बरतते रहने की सलाह दी। कोरोना संक्रमित 24 प्रतिशत रोगियों को भूख न लगने, 18 फीसदी रोगियों को मतली-एसिड रिफ्लक्स और 14 फीसदी लोगों को पेट में सूजन जैसी दिक्कतें भी सामने आ रही है। कुछ रोगियों को बीमारी से ठीक होने के बाद भी इस तरह के लक्षण बने रहने की समस्या है। यह कोरोना वायरस शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है, उसके आधार पर इसके लक्षण भी भिन्न-भिन्न भी हो सकते है।
संक्रमितों में हो सकते है कुछ इस तरह के लक्षण-
अमेरिका स्थित सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने अपने रिपोर्ट में यह बताया कि कोरोना संक्रमितों में लक्षणों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस बार सबको विशेष सावधानी बरतते रहने की जरूरत है। ओमिक्रॉन संक्रमण के कारण संक्रमण के मामले भले ही हल्के देखे जा रहे, फिर भी लोग इसको लेकर बहुत लापरवाही कर रहे है। कई लोगों में तो इस वेरिएंट का गंभीर स्थिति संक्रमण का कारण बन सकता है। कुछ पेशेंट में तो संक्रमण के दौरान डायरिया के लक्षण भी देखने को मिले है, डेल्टा संक्रमण के समय में लक्षण असामान्य माने जाते थे।
इससे पहले कोविड के अध्ययन के आधार में वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन वेरिएंट के कुछ लक्षणों के बारे में बताया। जिसके रिपोर्ट में बताया गया था कि नाक बहना, सिरदर्द, थकान, छींक आना और गले में खराश की समस्या अब भी कोरोना के शीर्ष पांच लक्षण है। वहीं ओमिक्रॉन के संक्रमण की स्थिति में लोगों को गले में खराश के साथ दर्द और रात के समय अधिक पसीना आने की समस्या हो रही है। वैज्ञानिकों ने आगाह करते हुए बताया था कि कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट किसी को भी संक्रमित कर सकता है, ऐसे में इससे बचाव के लिए लोगों को पहले से अधिक सतर्क रहना जरूरी है।
ओमीक्रोम संक्रमितों में दस्त और पेट की समस्या पायी जा रही है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ओमिक्रॉन संक्रमितों को दस्त की समस्या लगातार पायी जा रही है। एनबीसी शिकागो के रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों की इम्युनिटी वीक है, उनमें इस तरह की समस्या बहुत ज्यादा देखी जा रही है। जॉन हॉपकिन्स मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना से संक्रमित 20 फीसदी लोगों को डायरिया के लक्षणों का अनुभव हो सकता है। यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि हमें सिर्फ थकान, सांस लेने में समस्या, मांसपेशियों और शरीर में दर्द या गले में खराश को ही कोरोना का लक्षण मानकर नहीं चलना चाहिए। इसके अन्य लक्षणों के बारे में भी लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
इस संक्रमण से बचने के लिए हमें अपने इम्यूनिटी और खानपन का विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए।इम्यूनिटी को स्ट्रांग करने के लिए आप हल्दी के दूध का रोजाना सेवन कर सकते है क्योंकि इसमें कैल्शियम, आयरन, सोडियम, ऊर्जा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह हल्दी का दूध पोषक तत्वों के साथ शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मदद करता है। साथ ही हल्दी के दूध को पीने से चेहरे का रंग गोरा और एक अलग सा निखार चेहरे पर दिखाई देने लगता है। हल्दी का दूध नियमित रूप से रोज सेवन करने से इम्यूनिटी स्ट्रांग के साथ शरीर में दर्द सूजन सर्दी जुखाम आदि जैसे समस्याओं से भी निजात दिलाता है। इसके साथ ही इम्यूनिटी को स्ट्रांग करने के लिए हमें रोजाना व्यायाम को अपने डेली रूटीन में लाना चाहिए। योग और एक्सरसाइज से हमारी इम्यूनिटी स्ट्रांग होती है और हमें कोई भी बीमारी जल्दी नहीं होती। इसके साथ ही आप अपनी यूनिटी को स्ट्रांग करने के लिए तुलसी के चाय का उपयोग कर सकते है।चाय में तुलसी के पत्ते डालकर उसका सेवन करना इम्यूनिटी और कई बीमारियों जैसे कोरोनावायरस तब के बचाव के लिए शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि मानी गई है। हमारे आयुर्वेद में तुलसी को बड़ी ही लाभकारी मानी गयी है। अगर हम चाय में मात्र तुलसियों के कुछ पत्ते डालकर उसका सेवन करें तो यह हमारे शरीर को ढेरों मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करता है। जिससे शरीर में होने वाले फ्री रेडिकल्स के नुकसान को दूर करता है। यह हमारे शरीर की सूजन को कम करने के साथ खांसी जुकाम,नाक की समस्या में बहुत ही असरदार साबित होती है। कुछ तुलसी के पत्तों को चाय में डालकर उबालें और उसका सेवन करें। इससे हमारी इम्यूनिटी मजबूत होगी और कई बीमारियां भी कुछ ही दिनों में छूमंतर हो जाएगी।