
पाकिस्तान के बहावलनगर में शिया समुदाय पर हमले की तैयारी कर पूरे प्लान के साथ, वहाँ पर शिया समुदाय के जुलूस को निशाने बनाते हुए बम धमाका किया गया है। पाकिस्तान में शिया समुदाय के लोगों को काफी लंबे समय से निशाना बनाया जाता आ रहा है। सेंट्रल पाकिस्तान में गुरुवार को शिया मुसलमानों के जुलूस में जोरदार धमाका हुआ। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और 59 से ज्यादा लोग घायल हो गए। बता दें की पकिस्तान में शिया मुसलमानो पर और वहाँ रह रहे अल्पसंख्यकों पर जिसमे की हिन्दू, सिख भी आते है, उनको हमेशा से टारगेट बनाया जाता आ रहा है।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलनगर में विशेष रूप से शिया समुदाय के जुलूस को निशाना बनाकर बम धमाका किया गया है। इस बम धमाके वाले हमले में अब तक तीन लोगों के मारे जाने की खबर आ रही है। स्थानीय पुलिस ने का कहना है कि गुरुवार को मध्य पाकिस्तान में शिया मुसलमानों के जुलूस के बीच एक खतरनाक बम धमाका हुआ जिसमे की तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि 5 से ज्यादा लोग घायल हो गए है ,ये संख्या और ज्यादा भी हो सकती है। सोशल मीडिया पर इस घटना पर सामने आ रहे वीडियो में पुलिस और एंबुलेंस की गाड़ियों को घटनास्थल की तरफ जाते हुए देखा जा सकता है।
कई घायल हुए लोगों को पंजाब प्रांत के पूर्वी हिस्से में मौजूद इस बहावलनगर शहर में सड़क के किनारे मदद के इंतजार में बैठे हुए देखा जा सकता है। वहाँ के शहर के पुलिस अधिकारी ‘मोहम्मद असद’ और शिया नेता ‘खावर शफाकत’ ने बम धमाके की पुष्टि कर दी है और चश्मदीदों ने कहा कि शहर में धमाके के बाद तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया है, वहाँ के शिया समुदाय ने प्रतिशोध की मांग करते हुए इस हमले का विरोध भी किया है और शिया नेता खावर शफाकत ने कहा है कि विस्फोट उस समय हुआ जब जुलूस मुहाजिर कॉलोनी नामक भीड़भाड़ वाले इलाके से गुजर रहा था, उन्होंने हमले की निंदा करते हुए सरकार से इस तरह के जुलूसों में सुरक्षा बढ़ाने का आग्रह किया, बता दें की पकिस्तान में इस समय कई अन्य हिस्सों में भी इस तरह के जुलूस हो रहे हैं। शिया जुलूस का वार्षिक आशूरा स्मरणोत्सव के हिस्से के रूप में एक इमामबर्ग की ओर जा रहा था जब विस्फोट हुआ। यह वार्षिक स्मरणोत्सव शिया इस्लाम के सबसे प्रिय संतों में से एक, पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन की 7 वीं शताब्दी की मृत्यु का शोक मनाता है।
पाकिस्तान में हो रहे हैं , लगातार बम धमाके
पाकिस्तान में वहाँ के अल्पसंख्यकों पर तो बम धमाके होते ही रहते है, अब यह घटने आम होते नजर आ रहे है हाल ही में कई चाइनीज जो की पाकिस्तान में काम कर रहे है ,उन पर भी धमाके हुए है और अब यह धमाके शिया समुदाय के साथ भी होते दिख रहे है, जिस पर वहाँ की सरकार का कोई सुरक्षा की नजर से कोई भी पुख्ता इंतजाम नज़र नहीं आ रहा है।
आतंकवादी गतिविधि या फिर सांप्रदायिक हिंसा?
हमले को कथित तौर पर एक व्यक्ति ने अंजाम दिया था, जिसने बहावलनगर में एक मस्जिद के पास से गुजर रहे जुलूस में शोक मनाने वालों पर बम फेंका था। वहाँ के सरकार के मुताबिक उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। स्थानीय सरकार की रिपोर्ट में कहना है की , “शिया समुदाय के इस जुलूस में लगभग 500 पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल थे, जब यह विस्फोट हुआ। यह एक आतंकवादी गतिविधि प्रतीत होती है।” घायलों में अधिकांश युवा पुरुष हैं। ऐसा वहाँ के सरकारी रिपोर्ट का कहना है जबकि वहां के एक पुलिस सूत्र का कहना है की हमला सांप्रदायिक प्रकृति का लग रहा था। उन्होंने कहा, “पंजाब के दक्षिण में, शिया विरोधी समूह लश्कर-ए-झांघवी LEJ की जड़ें हैं। यह अल्पसंख्यक समुदाय को टारगेट करने का कोई मौका नहीं छोड़ती है।” जिस प्रकार सिर्फ शिया समुदाय के जुलूस पर ही यह ब्लास्ट हुआ है, उससे यह एक आतंकवादी गतिविधि कम और सांप्रदायिक हिंसा ज्यादा ही लग रही है।
पाकिस्तान में वहाँ के सुन्नी कट्टरपंथियों के निशाने पर हमेसा रहते हैं, शिया समुदाय के लोग
सुन्नी बहुल पाकिस्तान में शिया समुदाय अल्पसंख्यक है। इसी वजह से वहाँ के कट्टरपंथी सुन्नी मुस्लिमों के निशाने पर शिया समुदाय के लोग और अन्य सभी धर्मो के लोग हमेसा रहते हैं, शिया समुदाय के अलावा अहमदी और कादियानी मुसलमान भी सुन्नी कट्टरपंथियों के निशाने पर हमेसा रहते हैं। इन कट्टरपंथियों के दबाव में पाकिस्तान की सरकार कानून बनाकर अहमदियों को गैर मुस्लिम घोषित कर चुकी है। वहीं आए दिन शिया मुसलमानों पर कट्टरपंथी हमले करते रहते हैं। मुहर्रम के आसपास जब शिया समुदाय के लोग अपने मातमी जुलूस को निकालते हैं, तब यह सुन्नी कट्टरपंथी उन पर हमला करने के फिराक में रहते हैं, और कई बार बड़े हमले भी करते रहते है। जिसकी वजह से पाकिस्तान जो की एक इस्लामिक देश है वहीं इन दोनों समुदायों के बीच तनाव भी रहता है।
हुसैन की याद में मनाया जाता है यह अशौरा उत्सव
हर साल पैगंबर मुहम्मद के पोते और शिया इस्लाम के सबसे प्रिय संतों में से एक हुसैन की 7वीं शताब्दी की मृत्यु का शोक मनाया जाता है। शिया समुदाय के लिए हुसैन को याद करना भावनात्मक रूप से जरूरी माना जाता है। कई शिया समुदाय के लोगों को वर्तमान इराक में स्थित करबला में उनकी मृत्यु पर रोते हुए भी देखा जाता है बता दें की दुनियाभर के अलग-अलग देशों में अशौरा को मनाया जाता है। और इस लिए वह के इलाके में संचार सेवाएं बाधित हुई हैं, क्योंकि अधिकारियों ने शिया अशौरा उत्सव से एक दिन पहले देशभर में मोबाइल फोन सेवा को सस्पेंड कर दिया गया था।