दुनिया भर के 78 देशों ऐसे है जिनमें अब तक मंकीपॉक्स के 18 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके है । किसी भी बीमारी का अधिक खतरा बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा हो सकता है । बुजुर्गों की इम्यूनिटी युवाओं की तुलना में कम होती है, ऐसे में अगर वह किसी संक्रमण की चपेट में आ जाएं तो उनके लिए जोखिम बढ़ जाता है । वैसे तो मंकीपॉक्स को कोरोनावायरस जितना संक्रामक नहीं माना जा रहा लेकिन बच्चों पर इसका जोखिम ज्यादा है । मंकीपॉक्स को लेकर दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के विशेषज्ञों का कहना है कि ये संक्रामक बीमारी बच्चों के लिए घातक हो सकती है । वहीं मंकीपॉक्स का वायरस स्मॉल पॉक्स फैमिली का है, ऐसे में स्मॉल पॉक्स का टीका इस बीमारी में असर दिखा रहा है । जिन लोगों को चेचक का टीका लग चुका है, उन्हें मंकीपॉक्स का खतरा कम हो सकता है । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को लेकर पुरुषों को जोखिम से बचने के लिए सलाह भी दी है ।
मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है । यह पहली बार साल 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था ।मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था । यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है ।
मंकीपॉक्स के ये है लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती है । इस रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते है । मामले गंभीर भी हो सकते है । हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है । हालांकि संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है ।
मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी सतर्क रहने की सलाह
मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सतर्क रहने की सलाह दी है, तो वहीं भारत सरकार ने भी मंकीपॉक्स के मरीजों के इलाज और रखरखाव को लेकर एडवाइजरी जारी की है । राज्य सरकारों को इस बीमारी से निपटने के लिए अपने स्तर पर तैयार रहने को कहा है । भारत में भले ही मंकीपॉक्स के कम मामले सामने आए हों लेकिन कोरोनावायरस जैसी गंभीर स्थिति न बने, इसके लिए पहले से तैयार रहने और मंकी पॉक्स के लक्षण नजर आने पर उसे पहचान कर तुरंत इलाज कराने की जरूरत है । ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं, ताकि इस बीमारी का इलाज हो सके । अगर शरीर पर चकत्ते पड़े, सरदर्द, लिम्फ नोड्स की सुजन, बुखार, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी महसूस हो तो ये आपके मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के संकेत है । मंकीपॉक्स में शरीर पर बड़े आकार के दाने भी आ जाते है । ऐसे में सही खानपान से जल्दी रिकवरी हो सकती है ।
किन उम्र के लोगों में मंकीपॉक्स का ज्यादा है खतरा?
मंकीपॉक्स को लेकर हो सबसे अहम सवाल ये हैं कि सबसे ज्यादा खतरा किसे हो सकता है ? विशेषज्ञ के मुताबिक, मंकीपॉक्स चेचक के जैसी बीमारी है, जो कोरोनावायरस की तरह फैल रही है । कहा जा रहा है जिन लोगों को चेचक का टीका है, उन्हें मंकीपॉक्स का खतरा कम है । दरअसल, साल 1980 के पहले पैदा हुए लोगों को चिकन पॉक्स या स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन लग चुकी है । उसके बाद जन्मे लोगों को मंकीपॉक्स का जोखिम हो सकता है । यानी 42 साल से कम उम्र के लोगों पर मंकीपॉक्स का बड़ा खतरा है । साथ ही सबसे अधिक खतरा बच्चों को है ।
डब्ल्यूएचओ ने दिया पुरुषों को सलाह
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा कि जिन पुरुषों में मंकीपॉक्स का जोखिम है , वह यौन संबंधों में सावधानी बरतें ।रिपोर्ट के मुताबिक, मई में मंकीपॉक्स के जो मामले सामने आए, उनमें 98 फीसदी संक्रमित गे , बाइसेक्सुअल और पुरुषों से संबंध बनाने वाले पुरुष थे । इसलिए यौन संबंध के दौरान सुरक्षित विकल्प अपनाने की सलाह दी गई ।
मंकीपॉक्स से बचाव के कुछ महत्वपूर्ण उपाय
- मंकीपॉक्स के मामले भले ही फिलहाल कम है लेकिन मंकीपॉक्स कोरोना की तरह की फैल रहा है । इसलिए मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए लापरवाही बिल्कुल न करें ।
- किसी भी व्यक्ति में मंकीपॉक्स जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
- मंकी पॉक्स से बचाव के लिए चेचक का टीका जरूर लगवाएं ।
- जो लोग इन्फेक्टेड देशों से लौट रहे हैं, उनके संपर्क में आने से बचना चाहिए ।
- साफ सफाई का ख्याल रखें । संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर साबुन से हाथ धोएं ।
- सैनिटाइजर का उपयोग अवश्य रूप से करें ।
- अगर संक्रमित के संपर्क में आने वाले किसी शख्स में मंकीपॉक्स होने का खतरा हो, तो उसकी जानकारी दें ।
मंकीपॉक्स के मरीजों का ऐसा होना चाहिए डाइट
- किसी भी संक्रमण या बीमारी से जल्द ठीक होने के लिए हेल्दी और पौष्टिक आहार को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए । ऐसे में अगर कोई मरीज मंकीपॉक्स से संक्रमित है तो उसे प्रोटीन, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए ।
- ये बीमारी संक्रमण से फैलती है, इसलिए संतुलित आहार के साथ ही खानपान में स्वच्छता का भी खास ध्यान रखना चाहिए ।
- मंकीपॉक्स के मरीजों को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए । शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए अधिक पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए ।
इन सब्जियां का उपयोग लाभकारी
मंकीपॉक्स से रिकवरी के लिए मरीजों को एंटी-ऑक्सीजन गुणों से भरपूर फूड्स को डाइट में शामिल करना चाहिए । मंकीपॉक्स मरीजों के लिए कई तरह की सब्जियां फायदेमंद होती है । इसमें ब्रोकली, पालक, खीरा आदि का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए ।
ये फल रोगियों के लिए है रामबाण
फल मरीजों के लिए फायदेमंद होते है । शरीर को सेहतमंद रखने के लिए फलों में प्रोबायोटिक्स के गुण होते है । मंकीपॉक्स हो जाए तो आडू, जामुन, केले का सेवन करना चाहिए ।
प्रोटीन को भोजन में शामिल करना है बहुत लाभदायक
मंकीपॉक्स मरीजों को डाइट में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा को भी शामिल करना चाहिए । इसके लिए सोया, पनीर, दही, दूध, स्प्राउट्स का सेवन करना चाहिए ।
मंकीपॉक्स होने पर इन चीजों का सेवन न करे
मंकीपॉक्स से संक्रमित हो जाने के बाद या अन्य किसी भी संक्रमण से ग्रसित हैं तो चाय, कॉफी व सोडा जैसी ड्रिंक्स का सेवन बिल्कुल न करना चाहिए । इस तरह की इंस्टेंट एनर्जी देने वाली ड्रिंक्स संक्रमित मरीजों के लिए नुकसानदायक होती है ।